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रामघाट पर कीचड़ कीचड़ : पहले नपे थे कलेक्टर अब मंत्री की मौजूदगी में गिरते पड़ते रहे श्रद्धालु देखें वीडियो

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रामघाट के कीचड़ में पहले नपे थे कलेक्टर,  दोहराई गयी घटना लेकिन जवाबदारों की चुप्पी

उज्जैन ब्यूरो मोहित राजे

उज्जैन। मप्र की धार्मिक नगरी उज्जैन में श्रावण मास के अंतिम सोमवार होने की वजह से पुण्य सलिला क्षिप्रा में स्नान करने ओर शाही सवारी के दर्शन करने देशभर से आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही । इस दौरान बाबा महाकाल की श्रावण महीने के अंतिम सोमवार को निकली पालकी की सवारी में हज़ारों भक्त प्रशासन की लापरवाही से परेशान हुए। तीन दिन पहले आई बारिश की वजह से सोमवार को रामघाट पर भयंकर कीचड़ जमा हुआ था। जिसके कारण सवारी में शामिल होने आए दूर-दराज़ के श्रद्धालु कीचड़ से लथपथ गिरते पड़ते रहे। बारिश और बाढ़ के गुज़र जाने के तीन दिन बाद भी प्रशासन के अफ़सरों ने रामघाट पर जमा कीचड़ हटाने की ज़हमत नहीं उठाई। इससे यह पता चलता है की अधिकारियों ने सवारी मार्ग का पहले निरीक्षण ही नहीं किया था। जबकि उन्हें पता होना चाहिए था की सावन की आख़री सवारी में जन सैलाब उमड़ता है।

सवारी में शामिल होने आए श्रद्धालुओं ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए सरकारी तंत्र को ख़ूब कोसा।
ग़ौरतलब है कि इसके पहले राम घाट पर क्षिप्रा नदी में अमावस्या की दिन हज़ारों श्रद्धालु इस लिए स्नान नहीं कर पाए थे। क्योंकि घाट और नदी पर कीचड़ युक्त पानी था। इसी के चलते आए हुए लोगों ने कीचड़ से ही स्नान किया था। इस मामले में सीएम कमलनाथ ने उज्जैन कलेक्टर और कई अफ़सरों को लापरवाही का ज़िम्मेदार मानते हुए हटा दिया था। चेतावनी दी थी की महाकाल की नगरी में क्षिप्रा नदी और रामघाट पर आगे किसी तरह की लापरवाही बरदास्त नहीं की जाएगी। इसके बावजूद 12 अगस्त सोमवार को अधिकारियों ने गैरजिम्मेदाराना परिचय दिया।

प्रभारी मंत्री और केबिनेट मंत्री भी थे मौजूद:

रामघाट पर इस दौरान उज्जैन के प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और मंत्री तुलसी सिलावट भी मौजूद थे। ज़िम्मेदार अफ़सरों ने इन्हें भी रामघाट की अव्यवस्था से अँधेरे में रखा।

कमिश्नर और आईजी भी थे रामघाट पर:
कमिश्नर अजित कुमार सिंह और आईजी राकेश गुप्ता भी रामघाट पर ही इसी दौरान मौजूद थे जब आरती के लिए सवारी पहुँची।
बावजूद इस बार कमलनाथ सरकार का लचर रवैया सामने आया है। लोगों का कहना है कि या तो पहले धौंष जमाने के लिए वाहवाही लूटने के लिए कार्रवाई की गई थी। या फिर अब सरकार को यह सब नही दिख रहा है। हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं में कई गिर पड़ कर घायल हो गए लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नही रेंगी।