उज्जैन

उज्जैन में खूब बिखरे आदिवासी संस्कृति के रंग (मोहित राजे उज्जैन)

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उज्जैन ब्यूरो मोहित राजे

उज्जैन 9 अगस्त 1994 में संयुक्त राष्ट्र के जेनेवा शहर में विश्व।के आदिवासी प्रतिनिधियों का विशाल एवं विश्व का प्रथम अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था जिसमे विश्व भर के आदिवासियों की संस्कृति,भाषा,मूलभूत हक,को सभी ने एक मत से स्वीकार किया था।तभी से आदिवासियों के हक बरकरार है।
विश्व आदिवासी दिवस न केवल मानव
समाज के एक हिस्से की सभ्यता एवं संस्कृति की विशिष्टता का द्योतक है।
बल्कि संरक्षित करने और सम्मान देने के आग्रह का सूचक है,इसलिए 9 अगस्त को विश्व भर में इसे हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।

इसी कड़ी में समस्त आदिवासी कल्याण  समिति  के तत्वाधान में आदिवासी समाज की स्थानीय दशहरा मैदान से प्रातः 9 बजे एक विशाल रैली निकाली जिसमे समाज के युवक, युवती,महिलाएं और पुरूषों ने भाग लिया।

रैली आदिवासी गीत, संगीत की धुन पर नाचते गाते  निकले , रैली कंट्रोलरूम,चार गुमटी अस्पताल, शहीद पार्क,टावर चौक,तीन बत्ती, सिंधी  कालोनी,मुनि नगर दो तालाब,  नाना खेड़ा होते हुए महाकाल वाणिज्यिक ट्रेजर बाजार के सामने कार्यक्रम स्थल पहुंची।
जहां विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम के संयोजक डॉ. कनिया मेंडा नेबताया की आज ही के दिन विश्व मे बेस आदिवासी समाज को उपेक्षा,गरीबी, अशिक्षा ,बेरोजगारी,बंधुआ कार्य दल, से मुक्ति मिलने के साथ ही आदिवासी अधिकार प्राप्त हुआ थे।आज का दिन संकल्प लेने का दिन  है।


समाज के अध्यक्ष हरे सिंह मुवेल ने भी इस दिन की विशेषताओ पर प्रकाश डाला।